Friday, March 13, 2009
ऑरकुट:- दोस्ती और प्यार
Monday, December 29, 2008
जिले के किसानो को दी जायेगी हर संभव मदद : कृषि मेला का उदघाटन
Tuesday, September 02, 2008
बिहार फिर बाढ़ की चपेट में : मदद की गुहार
Friday, August 29, 2008
बेगुसराय पुलिस ने रचा इतिहास : बनाया अपना ब्लॉग साईट
एस पी अमित लोढा को ब्लॉग दिखाते हुए मनीष राज
ब्लॉग की जानकारी प्रेस को देते हुए मनीष राज
Wednesday, August 27, 2008
भडास के मुख्य प्रवक्ता मनीष राज किए गए सम्मानित
मनीष राज को ढेरो शुभकामनाये
संजीत कुमार(प्रधान जी डौट कॉम )
Sunday, August 03, 2008
एस ओ एस भारतीय बालग्राम::-सेव आवर सोल-
मानवता की सच्ची सेवा अगर देखनी हो तो एस औ एस भारतीय बालग्राम मे आप देख सकते है ,पूरे बिहार प्रदेश मे मात्र बेगुसराय जिले मे स्थापित यह ओ अनाथ बालको की सेवा करने वाली संसथान है ,लेकिन इस संसथान के अन्दर अनाथ शब्द कहना वर्जित है
बेगुसराय जिले के उलाऊ मे अवस्थित एसo ओ एस भारतीय बालग्राम विगत तीन सालो से निरंतर बच्चो की देखभाल करता आ रहा है संसथान द्वारा बच्चो की सेवा के भावना देख कर मदर टेरेसा की याद आ जाती है
इस संसथान की विचारधारा पुरी तरह हमारी सोच से परे है जिस तरह हम अपने बच्चो को एक ही परिवार के अन्दर ही पालन करते है जहा एक घर होता है , एक माँ होती है , भाई बहन होते है और बच्चो को अपना विकास करने की पुरी आजादी होती है ,परिवार मे बच्चो के विकास के लिए माँ बाप जरुरी कदम उठाते है . ठीक उसी तरह एस औ एस बालग्राम मे एक २५-३० परिवार का एक ग्राम का निर्माण किया जाता है हर घर मे एक माँ होती है और सभी माँ को ५-६ बच्चो को पालने की जिमेदारी दी जाती है बच्चो के हर फैसले माँ लेती है . संसथान सिर्फ़ माँ की मदद करता है बचपन से ले कर जॉब पाने तक संसथान लगातार उनकी देखभाल करता है जहाँ तक लडकी का सवाल है तो लडकी की शादी होने तक उन्हे यही रखा जाता है और उसकी शादी होने के बाद एस औ एस भारतीय बालग्राम लडकी का मैयका होता है जहाँ वो अपने भाई बहन और माँ से मिलने आया करती है सही अर्थो मे कहा जाय तो बच्चो को एक पूरा परिवार ही मिल जाता है जहाँ वे अपना सर्वांगीण विकास कर पाते है एस औ एस बालग्राम लगातार निःस्वार्थ उनकी सेवा करता आ रहा है एस औ एस भारतीय बालग्राम सिर्फ अपने यहाँ पल रहे बच्चो की ही देखभाल नहीं करता बल्कि आसपास के गावों के बच्चो और गरीब परिवारों की भी देखभाल करता है जिसे आउट रीच प्रोग्राम कहा जाता है संसथान आसपास के बच्चो के लिये निःशुल्क पढाई , भोजन और स्वास्थ्य की वेबस्था करता है जिससे आसपास के लोगो का आर्थिक और बौद्धिक विकास हो सके
अभी चार जगह उलाव, कैलाशपुर,महाराथ्पुर और तिलरथ मै इसके आउट रीच प्रोग्राम चल रहे है
इसके अलावे भी संसथान करीब १०० से भी जयेदा मानवता की सवा के लिये आउट रीच प्रोग्राम चला रहा है जिसमे इस्कूल ,हॉस्पिटल सहित अनेक प्रोग्राम शामिल है प्रकिर्तिक आपदा बाढ़ ,भूकंप ,महामारी मै भी यह संसथान बढ़ चढ़ कर अपना योगदान देता है एस औ एस बालग्राम के asst. director मनोज मिश्रा और आउट रीच प्रोग्राम के asst. director एस के ओझा से जब मैं मिला और इनके द्वारा चलायी जा रहे सारे प्रोग्राम को नज़दीक से देखा तो इसके महत्व को समाज पाया
मुजे याद है वो दिन जब रचीयाही के कैलाशपुर मे आउट रीच सेंटर खोलने की बात हो रही थी मैं और संसथान के Asst. Directer मनोज मिश्रा कैलाशपुर सर्वे के लिये गया था , पूरा गावं और गावों के बच्चे मिश्रा जी के हाथ पकर लिये और वहां सेंटर खोलने की जिद करने लगे , कितनो ने तो रो कर मिश्रा जी से कहा की अब उनके बच्चो का future आपके हाथ मे है मैने इन सारे सीन को अपने कैमरे मे कैएद कर लिया वो विसुअल देख कर मैं आज भी रोमांचित हो जाता हूँ आज वहां संसथान द्वारा एक सेंटर चलाया जा रहा है और कैलाशपुर के गरीब बच्चो को मुफ्त मे education.health, food दिया जा रहा है इस संसथान की मानवता की सच्ची सेवा करने की तत्परता और तस्वीर एक बार और देखने को मिली जब एक अखबार मे यह खबर छपी की समस्तीपुर जिला के सरायरंजन मे एक परिवार के मुखिया और एक बच्चे की मौत भूख के कारन हो गयी और कुछ बच्चे अनाथ हो गये मैं सुबह सुबह मनोज मिश्रा जी के साथ संसथान मे बैठा था की उनकी नज़र उस खबर पर गयी मिश्रा जी ने तुंरत अपने दिली ऑफिस से संपर्क किया और एक कार रिज़र्व कर के तुंरत सरायरंजन जाने को तैयार हो गये
मिश्रा जी ने मुजे भी चलने को कहा , हलाकि मेरी तबियत ठीक नहीं थी फिर भी मैं संसथान की कार्यशैली को नज़दीक से देखने और समझने का मौका गवाना नहीं चाह ता था मिश्रा जी और मैं सरायरंजन गये और उन परिवारों से मिला उसके बाद सरायरंजन के BDO और जिलाधिकारी से भी मिश्रा जी मिले और अनाथ हो गए बच्चो को अपने साथ ले जाने की बात कही , जिलाधिकारी ने इनके कार्यो की सराहना की मैने मानवता के प्रति इनकी तत्परता और seva देख कर दंग रह गया सही मे आज भी ऐसी संसथान और लोग है जो मानवता की सेवा मे लगे है बच्चे जो हमारे देश की आत्मा है उन्हे बचाने मे लगी जो सबसे अग्रणी संसथान है वो है एस औ एस - भारतीय बालग्राम
इनका नारा भी है SAVE OUR SOUL--(SOS)
Friday, July 25, 2008
चार बूंद अश्क
लुट कर मेरे दिल , सबने दिल अपना बसाया,
नींदे मेरी चुरा कर, अपनी रातो को है सजाया।
जिन्दगी के रहगुजर पर, जरुरत परी जिसे रोशनी की,
मै ही हूँ वो चिराग, हर बार सबने जिसे जलाया।
अपनों के इस भीर मै, मिला न कोई अपना,
ढूंडा था जिस एक को, उसने भी हमें रुलाया ।
दुआ ये है की मेरी आँखों को समुंदर मिले
चार बूंद जो अश्क मिले थे, उससे कब का मैंने गवाया ।
संजीत कुमार
Thursday, July 24, 2008
मै हूँ वो किताब
तारीफ़ करते करते आपकी कही हम ही न खो जाये,
कैसे करे तारीफ़ आपकी आप ही हमें बताये ,
इतने करीब आ जाएये की कोई बीच मे दीवार ना रहे,
पर फासला फिर भी इतना हो की आँचल मेरा बेदाग़ रहे,
आप ही मेरे चाँद है आप ही सूरज ,
मेरे हरेक सवाल का आप ही है जबाब ,
जिसके हरेक पन्ने पर लिखा है आपका ही नाम
मै हूँ वो किताब।
संजीत कुमार
हंसी के फूल थोरे , दर्द यहाँ बेशुमार है- संजीत
जिंदगी का हर गुल , अपने लिए बेजार है ,
आंसू ही अपना हमसफ़र , दर्द ही अपना यार है ।
ढूंढ़ते थक गए हम उसे जिसके लिए बेकरार है ,
कोई तो इतना बता दे कहा बिकता प्यार है ।
चलना हमने भी सिख लिया , जीवन के हर राहो पर
अब हर वीरान मौसम भी , अपने लिए बहार है ।
क्या हसना क्या रोना , सब अपने लिए समान है ,
फूलो मे हमने है देखा , छिपा हुआ खार है ।
खुदा ने भी अनजाने मे , कैसे ये दुनिया बनाई
हंसी के फूल है थोरे , दर्द यहाँ बेशुमार है ।
Wednesday, July 23, 2008
अपनी दुआओं का कब असर होता है .
उनके लिए तो अपना घर भी, बेघर होता है ।
है कौन जहाँ मे जो पूछे टूटे दिलो का हाल ,
वक्त पर इनका खुदा भी, इनसे बे नज़र होता है।
इस दिल के जलने , की कैसे होती खबर सबको ,
आख़िर एक चिराग से, कब उजाला शहर होता है ।
करे भी तो कैसे, इनके ज़ख्मो का हम इलाज ,
हर दवा इनके लिए तो , ज़हर होता है
पत्त्थरों को कहाँ ,होती है दिलो के परख ,
वो तोरते ही है उसको ,जो शीशे का घर होता है ।
दुआ ये है की, टूटे दिलो को मिले जीने का सबब,
दखेंये अपनी दुआऊ का, कब असर होता है ।
"संजीत कुमार "
लुटा है मुझे किसने मेरे यारो से ये पुछो- संजीत
Sunday, June 15, 2008
गांधीगीरी नही छोरेगे
Monday, June 09, 2008
एक तस्वीर : बेगुसराय की
Saturday, June 07, 2008
भूल गया सब कुछ पर एक बात न भूली "जुली आई लव यू "
बहुत पहेले ये गाना सुना था की "भूल गया सब कुछ याद नही अब कुछ ,पर एक बात न भूली जुली आई लव यू " उस वक्त मैं इसे गाना की तरह सुनता था पर ये गाना आज की हकीकत बन चुका है । जिधर भी देखता हूँ बस एक ही चीज़ नज़र आती है "जुली आई लव यू "। कभी सुना था की माँ बाप के पैरो मे ज़नत होती है पर यह बात आई लव यू की बुखार मे खो गया है। आज तो भइया ईज़त उसी की है जिसके पास सबसे जायेदा बॉय फ्रेंड या गर्ल फ्रेंड हो । सब इसी सागर मे गोते लगा रहे है । घर मे भले अपने भाइयो से प्यार करे या न करे पर बाहर लरकीयो से सात जन्मों का वादा जरुर करते है । आपनी बहनो को राखी का तोहफा भले भूल जाए पर गर्ल फ्रेंड के लिए तोहफे जरुर याद रहते है । देश के लिए भले जान न दे पर महबूब के लिए सल्फाश की गोली खा कर जरुर जान देंगे बाद मे उसका महबूब दूसरे महबूब के साथ एश करता नज़र आता और माँ बाप अपने बेटे को खोने का गम जिंदगी भर मनाते रहते है । ये जुली पता नही क्या क्या गुल खीलायेगी । और फिर अब तो इनके गोड फादर यानी मटुकनाथ और जुली के किस्से सब जगह बरे चाव से सुनाये जा रहे है । कुछ दिन बाद मंदिरों मे जुली और मटुकनाथ की पूजा की जायेगी। पता नही ये जुली अब क्या क्या हमसे करायेगी ,कही ये जुली के चकर मे सारा जहा ही भूल न बैठे और सारे रिश्ते हम खोकर अपने आप को न भूल जाए और गाते रहे यह गाना "भूल गया सब कुछ याद नही अब कुछ पर एक बात न भूली "जुली आई लव यू "
"संजीत कुमार ,बेगुसराय "
Friday, June 06, 2008
वो छुट गया बेगुसराय
जनवरी की कड़ाके की सर्दी , वो बारिशों के महीने ,
Thursday, January 31, 2008
बेगुसराय की पहली अभिनेत्री नीतू सिंह का एक परिचय
उत्तर भारत के उत्तरी बिहार के उत्तर पूर्व जिला बेगुसराय के पोखरिया मोहल्ले में जन्मी और बेगुसराय में शिक्षा प्राप्त करने के क्रम में ही नीतू सिंह का लगाव इप्टा संस्था से हो गया.विभिन्न छोटी-छोटी नाटकों में अपने भावपूर्ण अभिनय से लोगों का ह्रदय जीतने वाली नीतू सिंह ने हिमाचल प्रदेश स्थित ''नाट्य कला अकादमी'' से अभिनय का विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त कर अपनी आंखों में सपनों को संजोय मुम्बई की तरफ रूख किया। मुम्बई में संघर्षों के अनवरत दौर को झेलने के बाद किस्मत ने इनका साथ दिया और इन्हें अभिनेत्री के रुप में ''सखी'' फिल्म में काम कराने का मौका मिल। हालांकि इस फिल्म को अत्यधिक लोकप्रियता नही मिली लेकिन लोगों ने इनके अभिनय को सराहा और फिर इन्हें एक के बाद एक फिल्मों में काम कराने का मौका मिलता चला गया। इसी बीच मुख्य अभिनेत्री के रुप में इन्हें खगरिया वाली भौजी'' फिल्म में काम कराने का मौका मिला,जिसमें अपनी अभिनय क्षमता का भरपूर प्रदर्शन कर अपार ख्याति अर्जित की। न सिर्फ फिल्म बल्कि विभिन्न विज्ञापन फिल्मों और टीवी धारावाहिक में भी काम कराने का मौका मिला। वर्तमान में नीतू सिंह दूरदर्शन पर आने वाली धारावाहिक ''एअर होस्टेस'' में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
नीतू सिंह:संक्षिप्त परिचय
नाम: नीतू सिंह जन्म दिन:-९ मार्च
कद:-५'५''
जन्म-स्थान:-बेगुसराय
वर्तमान पता:-स्टेशन रोड,बेगुसराय
फिल्म-प्रवेश:-वर्ष २००५
पहली फिल्म:-सखी
पहली सफल फिल्म:-खगरिया वाली भौजी
पहली टीवी धारावाहिक:-आंखें
वर्त्तमान धारावाहिक:-एअर-होस्टेस
पहला एलबम:-वेबफाई (अल्ताफ राजा के साथ)
योग्यता:-स्नातक
भाषा प्रदर्शन:- भोजपुरी,अंगिका,मैथिली,छत्तीस गढ़
अब तक की फिल्में:-सखी,खगरिया वाली भौजी,सैयां सिपहिया,भाकला जो,दुलरुआ बाबु, झुलानिया ले द राजा जी
आने वाली फिल्में:-मन लागल सनम ससुरारी में,हर-हर गंगे
पसंदीदा पहनावा:-साड़ी
पसंदीदा भोजन:- चिकेन
पसंदीदा अभिनेता:-शाहरूख खान
पसंदीदा अभिनेत्री:-कजोल
पसंदीदा फिल्म:-ब्लैक
बेगुसराय के युवाओं के नाम एक हृदयस्पर्शी संदेश:-सबसे पहले शिक्षित बनें,आत्मविश्वास बढाने का प्रयास करें,अपनी शारीरिक हाव-भाव आकर्षक बनाए और माता-पिता के आशीर्वाद से अपने सपनों को साकार करें।
बेगुसराय के ब्लोग लेखक संजीत कुमार उर्फ़ अप्पू राज ने अभिनेत्री नीतू सिंह से जो बात-चीत की ,उसका संक्षिप्त अंश प्रस्तुत किया गया है .अपनी राय से हमे ज़रूर अवगत करावें। अगर आप नीतू सिंह को कोइ संदेश देना चाहते हैं तो इ मेल पर सम्पर्क करें।
Monday, January 28, 2008
''स्वर-किरण'' अभियक्ति की नई ज़मीन है,जहाँ शब्दों के लहलहाते फसलों की हरीतिमा को आप तक पहुंचाने का एक छोटा प्रयास है आपका अपना ब्लोग्साईट "स्वर-किरण"
संजीत कुमार उर्फ़ ''अप्पू राज़''