Friday, March 13, 2009

ऑरकुट:- दोस्ती और प्यार

ऑरकुट internet की दुनिया का यह एक जाना पहचाना नाम है इंटरनेट पर चैटिंग करने का सबसे प्रसिद्ध साईट है ये । गूगल को famous दिलाने में इस साईट ने अहम् भूमिका निभायी है । इस साईट पर दोस्तों को सर्च बड़ी आसानी से किया जा सकता है और दूर रह कर भी आप अपने दोस्तों के करीब रह पाते है । चैटिंग करने की जो सुविधा इस साईट पर है शायद आपको दुसरे साईट पर नही मिल पायेगी।
इस साईट पर आप अपनी दोस्ती के साथ साथ मनचाहा जीवनसाथी भी तलाश कर सकते है । एंटी सेक्स से इस साईट पर आसानी से दोस्ती हो जाती है और आप अपने प्यार का इज़हार भी बड़ी आसानी से कर पाते है साथ ही साथ आप अपनी पहचान छुपा भी सकते है । शायद येही वजह है की यह साईट १८ से ३५ साल के नोजावानो के बीच काफी पौपुलर है ।
लेकिन जहा इसके अनगिनत फायेदे है वही इस साईट की कुछ कमजोरियां भी रही है जो लोगों को ग़लत दिशा की और ले जा रहा है जहा लोग इससे बड़ी उत्साह से ज्वाइन करते है लेकिन बड़ी जल्दी ही उन्हें इनसे निराशा भी होने लगती है २ से ३ महीने में वे निराश हो कर इससे छोड़ देते है । मेरे कितने मित्र ऐसे है जिन्होंने मेरे साथ इससे ज्वाइन किया और जल्द ही इससे किनारा कर गए । मैंने उनसे इसका कारण भी जानना चाहा तो वे बोले बस यार जी भर गया है ऑरकुट से । मैंने इसके कारण की तलाश की तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ की यह ऑरकुट जितनी तेजी से फ़ैल रहा है उतनी तेजी से लोगो में निराशा भी भर रहा है । निराश हो कर लोग या तो ID बदल रहे है या फ़िर ऑरकुट छोड़ रहे है ।
लेकिन क्या इसका मतलब यह ऑरकुट साईट ग़लत है क्या इससे बंद कर देना चाहिए । मेरी माने तो नही दोष ऑरकुट में नही है दोष हमारी सोच में है । हमारी नज़र में अब दोस्ती और प्यार के मायने बदल चुके है जो दोस्ती हम निभाते है दरअसल वो दोस्ती नही है वो एक attraction है । और येही से निराशा की शरुआत होती है ।
दरअसल जिसे हम दोस्ती या प्यार कहते है वो मात्र एक आकर्षण है । हम जब भी ऑरकुट पर आते है तो चाहे जुबां से कितना भी दोस्ती कहे पर दिल से कही न कही एंटी सेक्स के प्रति सेक्सुअल रिलेशन ही सोचते है और साडी गड़बड़ येही से शुरू होती है । हम तमन्ना लिए आते है की लड़कियों से सेक्स के बातें कर पाएं या सेक्सुअल रिलेशन बना पाए और अगर एक से ऐसा रिलेशन बनाने में सफल हो गए तो दुसरे की तालाश भी जल्द शुरू कर देते है और येही सिलसिला लगातार जारी रखते है बाद में रिलेशन में खटास आती है और हम थक हार के ओर्कुटिंग छोड़ देते है और फिर ऑरकुट साईट को दोष देते फिरते है । आज कल तो मैंने पाया है की लोग सेक्स रिलेशन बनाने के लिए ऑरकुट का सहारा ले रहे है ॥कुछ सेक्स वर्कर अपनी प्रोफाइल बना कर सीधे सीधे ग्राहक की तालाश कर रहे है और खुले तौर पर एक रात के १००० या २००० की बात कर रहे है हालाकी ऐसे लोगों पर गूगल की तरफ से
प्रतिबन्ध किये जा रहे है फिर भी ये बात बड़ी तेज़ी से फेअल रही है हमें अपनी सोच और इक्छा को लगाम लगाना होगा और ऑरकुट पर दोस्ती या प्यार के मायेने समझने होंगे यह आप चाहे तो अच्छी दोस्त घर बैठे बना सकते है ख़ास कर लड़कियौं के लिए ये सबसे अच्छी बात है की वो घर बैठे अपनी सही जीवनसाथी की तालाश कर सकती है उन्हें आचे से समझ कर और देख कर अपनी पसंद अपने परिवार वालों को बता सकती है
मैं सोचता हूँ की मैरिज़ ब्यूरो से भी जयेदा प्रभावशाली होगा की हम अपना जीवनसाथी ऑरकुट पर खोजे साथ ही साथ इसकी दोस्ती के भी फैयेदे हमें मिल पते है हम अपनी मन पसंद दोस्त को खोज पाते है और अपनी बातों को शेयर कर पाते है पर हां इस ऑरकुट का सही उपयोग सीखना होगा अगर हम इसका सही इस्तेमाल करे तो हमें अच्छे अच्छे दोस्त के साथ साथ हम अपना जीवनसाथी भी खोज पाते है लेकिन अगर हम इससे सेक्स का बाज़ार बना दे तो हम इसके लाभ से वंचित रह जायेंगे तब ऑरकुट पर अच्छे लोग आने से घबराएंगे और यह एक सेक्स बाज़ार बन कर रहा जायेगा

Monday, December 29, 2008

जिले के किसानो को दी जायेगी हर संभव मदद : कृषि मेला का उदघाटन

किसान मेला का उद्घाटन समारोह में स्वागत गान करती छात्रा


दो दिवसिये किसान मेला का उद्घाटन करते कृषि मंत्री नागमणि ,नगर विकास मंत्री भोला प्रसाद सिंह, प्रभारी जिला मंत्री गौतम, जिला अधिकारी संजीव हंस

"बेगुसराय को मोडल कृषि जिला घोषित कText Colorर जिले में कृषि महाविद्यालय खोला जायेगा" यह बात गाँधी स्टेडियम में आयोजित दो दिवसिये किसान मेला के उद्घाटन समाहरोह के दोरान कृषि मंत्री नागमणि ने कहा। आत्मा द्वारा आयोजित इस दो दिवसिये मेला का उद्घाटन नगर विकास मंत्री भोला प्रसाद सिंह ने किया ।
इस समाहरोह में जद यु जिला अध्यक्ष प्रमोद शर्मा , भाजपा जिला अध्यक्ष श्री कृष्ण सिंह डीऐओ सहित हजारो किसान उपस्थित थे।
कृषि मंत्री नागमणि ने कहा की जब तक किसान अपने खेतों की मिट्टी के जाँच करवाकर आवश्यकता के अनुरूप खाद और रसायन डाल कर खेती नहीं करेंगे तब तक न तो उन्नत खेती की कल्पना की जा सकती है और न ही किसान, राज्य, देश का विकास हो सकता है . नगर विकास मंत्री ने कृषि मंत्री को जिले में हो रहे कृषि योजना के असफल होने से अवगत कराया बाद में प्रभारी जिला मंत्री गौतम ने कहा की सरकार किसान के लिए चिंतित है उन्हें हर संभव सहायता दी जायेगी बाद में इस समाहरोह में धन्वाद ज्ञापन जिला अधिकारी संजीव हंस ने किया ।

Tuesday, September 02, 2008

बिहार फिर बाढ़ की चपेट में : मदद की गुहार

बाढ़ का कहर
बिहार फिर बाढ़ की चपेट में है चारो तरफ हाहाकार मचा है। ऐसी प्रलयंकारी बाढ़ आयी है की लाखो लोग बेघर हो गए है सरकारी सहायता नाकाफी हो रही है मैंने बाढ़ को काफी नज़दीक से देखा है यु कहे की मौत को नज़दीक से देखा है बाढ़ में हमारे सामने हमारे परिजन जिन्दगी की भीख मांगते रहते है और हम उन्हे फिर भी नहीं बचा पाते है आप पत्रकार से यह गुजारिश है की आप यहाँ आये बाढ़ को अपने अपने चैनल या ब्लॉग पर बताये ताकि देश के कोने कोने से मदद मिल सके हमारी थोरी थोरी सहायता बाढ़ पीरितो की बरी मदद कर सकता है एक तिनका भी इनके जीने का सहारा बन सकती है ये मदद के लिए आपको पुकार रहे है आये इनकी मदद करे

Friday, August 29, 2008

बेगुसराय पुलिस ने रचा इतिहास : बनाया अपना ब्लॉग साईट

एस पी अमित लोढा बेगुसराय पुलिस के ब्लॉग साईट के बारे में प्रेस को संबोधित करते हुए
एस पी अमित लोढा को ब्लॉग दिखाते हुए मनीष राज


ब्लॉग की जानकारी प्रेस को देते हुए मनीष राज

बेगुसराय पुलिस एक इतिहास रचते हुए अपना ब्लॉग साईट का निर्माण किया है . बेगुसराय पुलिस संभवतः बिहार की पहली ऐसी पुलिस है जिसको अपना ब्लॉग साईट होने का गौरव प्राप्त हुआ है यह ब्लॉग का निर्माण वर्त्तमान एस पी अमित लोढा के दिशा निर्देशन में बनाई गयी है
और यह ब्लॉग साईट बनाने का गौरव पत्रकार मनीष राज को मिला है इस ब्लॉग साईट मे पुलिस की हर बातो को रखा गया है जिले के सभी थानों की जानकारी और थानों में दर्ज मुकदमे की जानकारी अब आम लोगो को इस साईट से मिल जाया करेगी लोग अपनी बातो को सीधे एस पी तक इस ब्लॉग के माध्यम से पहुंचा सकेंगे आज एस पी अमित लोढा ने प्रेस को इसकी जानकारी देते हुआ बताया की इस ब्लॉग के बनने के बाद पुलिस की छवी और सुधरेगी और जनता का पुलिस पर और विस्वास बढेगा .उन्होने कहा की अब बेगुसराय जनता का सीधा सम्बन्ध एस पी कार्यालय से हो गया है जनता अपनी समस्याओ को इस ब्लॉग के माध्यम से भी बता सकती है और पुलिस उस पर कारवाई करेगी इस प्रकार हम जिले को अपराध मुक्त कर पायेंगे इस ब्लॉग को बनाने वाले पत्रकार मनीष राज ने बताया की ऐसा उन्होने विदेशो के पुलिस को देखा और उनके मन मे आया की क्यों न अपने जिले के पुलिस को भी नए तकनीक से जोर दिया जाये इस विचार को उन्होने एस पी के समक्ष रखा जिसे एस पी अमित लोढा ने मंजूरी दे दी इस ब्लॉग साईट को आप begusaraipolice.blogspot.com पर लोंग ओन कर के देख सकते है आज इस मामले पर मनीष राज ने भी प्रेस को इसकी पुरी जानकारी दी

Wednesday, August 27, 2008

भडास के मुख्य प्रवक्ता मनीष राज किए गए सम्मानित

कुछ यूँ किए गए सम्मानित मनीष राज
कार्यक्रम की एक झलक

बिहार प्रांतीय कुम्हार प्रजापति समन्वय समिति की राष्ट्रीय इकाई ने बेगुसराय नगर स्थित आयुर्वेदिक महाविद्यालय के प्रांगन में एक भव्य समारोह का आयोजन कर भडास के मुख्य प्रवक्ता मनीष राज को शॉल और प्रशस्ति सम्मान दे कर सम्मानित किया गया। श्री राज को यह सम्मान बेबाक पत्रकारिता और एक बच्चे की नृशंश हत्या के मामले के तह तक जाकर साहसिक पत्रकारिता के परिचय देने के लिए दिया गया। आयुर्वेदिक महाविद्यालय के परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम के अवसर पर महामंत्री दानी प्रसाद , कोलकत्ता हाई कोर्ट के आधिवक्ता नारद जी , जिला पार्षद किशोर कुमार, संस्था के जिला अध्यक्ष इंजिनीअर कन्हाई पंडित , जिला के प्रख्यात चिकित्सक डाक्टर एस पंडित ,डाक्टर शशि प्रभा, डाक्टर अरविन्द कुमार के साथ अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।


मनीष राज को ढेरो शुभकामनाये


संजीत कुमार(प्रधान जी डौट कॉम )

Sunday, August 03, 2008

एस ओ एस भारतीय बालग्राम::-सेव आवर सोल-



मानवता की सच्ची सेवा अगर देखनी हो तो एस औ एस भारतीय बालग्राम मे आप देख सकते है ,पूरे बिहार प्रदेश मे मात्र बेगुसराय जिले मे स्थापित यह ओ अनाथ बालको की सेवा करने वाली संसथान है ,लेकिन इस संसथान के अन्दर अनाथ शब्द कहना वर्जित है
बेगुसराय जिले के उलाऊ मे अवस्थित एसo ओ एस भारतीय बालग्राम विगत तीन सालो से निरंतर बच्चो की देखभाल करता आ रहा है संसथान द्वारा बच्चो की सेवा के भावना देख कर मदर टेरेसा की याद आ जाती है
इस संसथान की विचारधारा पुरी तरह हमारी सोच से परे है जिस तरह हम अपने बच्चो को एक ही परिवार के अन्दर ही पालन करते है जहा एक घर होता है , एक माँ होती है , भाई बहन होते है और बच्चो को अपना विकास करने की पुरी आजादी होती है ,परिवार मे बच्चो के विकास के लिए माँ बाप जरुरी कदम उठाते है . ठीक उसी तरह एस औ एस बालग्राम मे एक २५-३० परिवार का एक ग्राम का निर्माण किया जाता है हर घर मे एक माँ होती है और सभी माँ को ५-६ बच्चो को पालने की जिमेदारी दी जाती है बच्चो के हर फैसले माँ लेती है . संसथान सिर्फ़ माँ की मदद करता है बचपन से ले कर जॉब पाने तक संसथान लगातार उनकी देखभाल करता है जहाँ तक लडकी का सवाल है तो लडकी की शादी होने तक उन्हे यही रखा जाता है और उसकी शादी होने के बाद एस औ एस भारतीय बालग्राम लडकी का मैयका होता है जहाँ वो अपने भाई बहन और माँ से मिलने आया करती है सही अर्थो मे कहा जाय तो बच्चो को एक पूरा परिवार ही मिल जाता है जहाँ वे अपना सर्वांगीण विकास कर पाते है एस औ एस बालग्राम लगातार निःस्वार्थ उनकी सेवा करता आ रहा है एस औ एस भारतीय बालग्राम सिर्फ अपने यहाँ पल रहे बच्चो की ही देखभाल नहीं करता बल्कि आसपास के गावों के बच्चो और गरीब परिवारों की भी देखभाल करता है जिसे आउट रीच प्रोग्राम कहा जाता है संसथान आसपास के बच्चो के लिये निःशुल्क पढाई , भोजन और स्वास्थ्य की वेबस्था करता है जिससे आसपास के लोगो का आर्थिक और बौद्धिक विकास हो सके
अभी चार जगह उलाव, कैलाशपुर,महाराथ्पुर और तिलरथ मै इसके आउट रीच प्रोग्राम चल रहे है
इसके अलावे भी संसथान करीब १०० से भी जयेदा मानवता की सवा के लिये आउट रीच प्रोग्राम चला रहा है जिसमे इस्कूल ,हॉस्पिटल सहित अनेक प्रोग्राम शामिल है प्रकिर्तिक आपदा बाढ़ ,भूकंप ,महामारी मै भी यह संसथान बढ़ चढ़ कर अपना योगदान देता है एस औ एस बालग्राम के asst. director मनोज मिश्रा और आउट रीच प्रोग्राम के asst. director एस के ओझा से जब मैं मिला और इनके द्वारा चलायी जा रहे सारे प्रोग्राम को नज़दीक से देखा तो इसके महत्व को समाज पाया
मुजे याद है वो दिन जब रचीयाही के कैलाशपुर मे आउट रीच सेंटर खोलने की बात हो रही थी मैं और संसथान के Asst. Directer मनोज मिश्रा कैलाशपुर सर्वे के लिये गया था , पूरा गावं और गावों के बच्चे मिश्रा जी के हाथ पकर लिये और वहां सेंटर खोलने की जिद करने लगे , कितनो ने तो रो कर मिश्रा जी से कहा की अब उनके बच्चो का future आपके हाथ मे है मैने इन सारे सीन को अपने कैमरे मे कैएद कर लिया वो विसुअल देख कर मैं आज भी रोमांचित हो जाता हूँ आज वहां संसथान द्वारा एक सेंटर चलाया जा रहा है और कैलाशपुर के गरीब बच्चो को मुफ्त मे education.health, food दिया जा रहा है इस संसथान की मानवता की सच्ची सेवा करने की तत्परता और तस्वीर एक बार और देखने को मिली जब एक अखबार मे यह खबर छपी की समस्तीपुर जिला के सरायरंजन मे एक परिवार के मुखिया और एक बच्चे की मौत भूख के कारन हो गयी और कुछ बच्चे अनाथ हो गये मैं सुबह सुबह मनोज मिश्रा जी के साथ संसथान मे बैठा था की उनकी नज़र उस खबर पर गयी मिश्रा जी ने तुंरत अपने दिली ऑफिस से संपर्क किया और एक कार रिज़र्व कर के तुंरत सरायरंजन जाने को तैयार हो गये
मिश्रा जी ने मुजे भी चलने को कहा , हलाकि मेरी तबियत ठीक नहीं थी फिर भी मैं संसथान की कार्यशैली को नज़दीक से देखने और समझने का मौका गवाना नहीं चाह ता था मिश्रा जी और मैं सरायरंजन गये और उन परिवारों से मिला उसके बाद सरायरंजन के BDO और जिलाधिकारी से भी मिश्रा जी मिले और अनाथ हो गए बच्चो को अपने साथ ले जाने की बात कही , जिलाधिकारी ने इनके कार्यो की सराहना की मैने मानवता के प्रति इनकी तत्परता और seva देख कर दंग रह गया सही मे आज भी ऐसी संसथान और लोग है जो मानवता की सेवा मे लगे है बच्चे जो हमारे देश की आत्मा है उन्हे बचाने मे लगी जो सबसे अग्रणी संसथान है वो है एस औ एस - भारतीय बालग्राम
इनका नारा भी है SAVE OUR SOUL--(SOS)

Friday, July 25, 2008

चार बूंद अश्क




लुट कर मेरे दिल , सबने दिल अपना बसाया,

नींदे मेरी चुरा कर, अपनी रातो को है सजाया।

जिन्दगी के रहगुजर पर, जरुरत परी जिसे रोशनी की,

मै ही हूँ वो चिराग, हर बार सबने जिसे जलाया।

अपनों के इस भीर मै, मिला न कोई अपना,

ढूंडा था जिस एक को, उसने भी हमें रुलाया ।

दुआ ये है की मेरी आँखों को समुंदर मिले

चार बूंद जो अश्क मिले थे, उससे कब का मैंने गवाया ।

संजीत कुमार

Thursday, July 24, 2008

मै हूँ वो किताब




तारीफ़ करते करते आपकी कही हम ही न खो जाये,

कैसे करे तारीफ़ आपकी आप ही हमें बताये ,

इतने करीब आ जाएये की कोई बीच मे दीवार ना रहे,

पर फासला फिर भी इतना हो की आँचल मेरा बेदाग़ रहे,

आप ही मेरे चाँद है आप ही सूरज ,

मेरे हरेक सवाल का आप ही है जबाब ,

जिसके हरेक पन्ने पर लिखा है आपका ही नाम

मै हूँ वो किताब।

संजीत कुमार

हंसी के फूल थोरे , दर्द यहाँ बेशुमार है- संजीत



जिंदगी का हर गुल , अपने लिए बेजार है ,

आंसू ही अपना हमसफ़र , दर्द ही अपना यार है ।

ढूंढ़ते थक गए हम उसे जिसके लिए बेकरार है ,

कोई तो इतना बता दे कहा बिकता प्यार है ।

चलना हमने भी सिख लिया , जीवन के हर राहो पर

अब हर वीरान मौसम भी , अपने लिए बहार है ।

क्या हसना क्या रोना , सब अपने लिए समान है ,

फूलो मे हमने है देखा , छिपा हुआ खार है ।

खुदा ने भी अनजाने मे , कैसे ये दुनिया बनाई

हंसी के फूल है थोरे , दर्द यहाँ बेशुमार है ।
"संजीत कुमार "

Wednesday, July 23, 2008

अपनी दुआओं का कब असर होता है .



जमाने मे कहा , टूटे दिलो का बसर होता है

उनके लिए तो अपना घर भी, बेघर होता है ।

है कौन जहाँ मे जो पूछे टूटे दिलो का हाल ,

वक्त पर इनका खुदा भी, इनसे बे नज़र होता है।

इस दिल के जलने , की कैसे होती खबर सबको ,

आख़िर एक चिराग से, कब उजाला शहर होता है ।

करे भी तो कैसे, इनके ज़ख्मो का हम इलाज ,

हर दवा इनके लिए तो , ज़हर होता है

पत्त्थरों को कहाँ ,होती है दिलो के परख ,

वो तोरते ही है उसको ,जो शीशे का घर होता है ।

दुआ ये है की, टूटे दिलो को मिले जीने का सबब,

दखेंये अपनी दुआऊ का, कब असर होता है ।

"संजीत कुमार "

लुटा है मुझे किसने मेरे यारो से ये पुछो- संजीत




लुटा है मुझे किसने मेरे यारो से ये पूछो,

दिल क्यों है सूना सूना बहारो से ये पूछो।


हर एक डूबे दिल को हमने ही था बचाया ,

पर हम कैसे डूबे सहारो से ये पूछो ।

यु तो मेरे कहकहे सभी ने सुने होंगे ,

रोते है किस तरह दीवारों से ये पुछो।


संजीत कुमार

Sunday, June 15, 2008

गांधीगीरी नही छोरेगे



यू तो गांधी जी का जन्म गुजरात मे हुआ था पर गांधीगीरी को पूरे देश ने माना। समय के साथ साथ गांधीगीरी को लोग भूलते गए जिस गांधीगीरी की बदौलत हम आजाद हुए ,आज उसी गांधीगीरी को सब भूल बैठे । लेकिन हमारा जिला आज भी गांधीगीरी मे भरोसा रखता है । सच कहता हूँ किसी भी पारिस्थीती मे हम गांधीगीरी नही भूलते । कुछ दिन पहेले की ही बात लीजिए सरे शाम एक आदमी की हत्या हो जाती है , हम कुछ नही कहते हम कुछ नही करते बस एक एक्सीडेंट मान कर बैठ जाते है । हमे भरोसा है की हत्यारा का कभी तो दिल बदलेगा । हमारे यहा बिजली की काफी समस्या है ,२४ घंटे मे ८ घंटे भी बिजली मिल जाए तो काफी है पर हम कुछ नही करते । आप किसी भी ऑफिस मे चले जाए बिना नजराना दिए आपका कोई काम नही होगा ,या तो नजराना दे कर काम कराये या फ़िर किस्मत का लेखा मान कर चुपचाप बैठ जाए फ़िर भी हम कहा कुछ बोलते है हम जानते है की बाबू लोगो का कभी तो मन बदलेगा और वो बिना नजराना के हमारा काम करेंगे । ऐसा नही की सिर्फ़ हम ही गांधीगीरी को मानते है ,हमारे नेता भी इसी सिद्धांत को मानते है जब भी कोई भी बरी समस्या आती है तो ये लोग पूरे सचे मन से समाहर्नालय के गेट पर सुबह से शाम तक अनशन करते है फ़िर अपने अपने घर ,कल के अखबार मे इनकी तस्वीर निकलती है .ये भी खुश हम भी खुश ,समस्या को वक्त ख़ुद बा ख़ुद सुलझा लेगी । क्या बताऊ आपको ऐसे हर मुश्किल घरी मे भी हम गांधीगीरी नही भूलते । पुरा शहर बारिस के पानी मे डूब जाए तो जाए , किसान फसल बर्बादी से मरे तो मरे ,महंगाई से लोग परेशान हो तो हो .माहिलाओ की इज़त लुटे तो लुटे ,क्या हम अपने सिधान्तो को भूल जाए । कोई कुछ भी करे या कुछ भी कहे हम गांधीगीरी नही भूलेंगे । अगर कोई मेरे एक गाल पर तमाचा मारता है तो हम दूसरा गाल भी आगे कर देंगे पर गांधीगीरी नही भूलेंगे

Monday, June 09, 2008

एक तस्वीर : बेगुसराय की
















१८७० मे बेगुसराय मध्य बिहार मे अपनी पहचान बनाई और मुंगेर जिला मे सब डिविजन के रूप मे मान्यता मिली । १९७२ मे इसे एक अलग जिला का रूप मिला । इसका नाम एक बेगु नाम के आदमी के नाम पर रखा गया जो मेन बाज़ार मे सराए का रखवाला था।

इसके पूरब मे मुंगेर और खगरिया जिला है पश्चिम मे समस्तीपुर और पटना जिला ,उत्तर मे समस्तीपुर और साउथ मे गंगा नदी और लखीसराय जिला है

प्रसासनिक डिविजन :

सब डिविजन : ५

ब्लाक : १८

पंचायत २५७

ग्राम : १२२९

बेगुसराय की जनसख्या :- २००१ के गणना के अनुसार :-२३,४२,९८९

एरिया :- १,८७,९६७.५ हेक्टेएर

गंगा नदी के किनारे बसा यह शहर पाच नदियों से घिरा है : बुरी गंडक ,बालन, बैयेती, बया और चंद्रभंगा

कावर झील एसिया का सबसे बरा सुध जल का झील है और यह बर्ड संचुरी भी है । इस बर्ड संचुरी मे ५९ तरह के वीदेसी बर्ड और १०७ तरह के देसी बर्ड ठंडे के मौसम मे देखे जा सकते है ।

८८% लोग खेती करते है यहाँ मुख रूप से तिलहन, तम्बाकू, आलू, टमाटर,अंडी ,लाल मिर्च की होती है। पारंपरिक तरीके से pasupaalan भी किए जाते है । दूध उत्पादन यह पर्चुर मात्र मे होता है इसमे बरौनी दियरी का काफी योगदान रहा है ।

बेगुसराय देश मे इंडस्ट्री को लेकर पर्सिध है यह बिहार का एक मात्र ऑउधोगिक शहर है। यह ३ बरे उओधोग्य है १) रीफिनेरी २) फेर्तिलिज़र ३)थर्मल ये तीनो बरौनी मे है । इसके आलावाए १०० से आधिक प्राइवेट छोटे इंडस्ट्री है ।

बेगुसराय को देश का उत्तर पूरब का द्वार कहा जाता है । डेली और गूउहाती सरक एही से हो कर गुजरती है ।

Saturday, June 07, 2008

भूल गया सब कुछ पर एक बात न भूली "जुली आई लव यू "



बहुत पहेले ये गाना सुना था की "भूल गया सब कुछ याद नही अब कुछ ,पर एक बात न भूली जुली आई लव यू " उस वक्त मैं इसे गाना की तरह सुनता था पर ये गाना आज की हकीकत बन चुका है । जिधर भी देखता हूँ बस एक ही चीज़ नज़र आती है "जुली आई लव यू "। कभी सुना था की माँ बाप के पैरो मे ज़नत होती है पर यह बात आई लव यू की बुखार मे खो गया है। आज तो भइया ईज़त उसी की है जिसके पास सबसे जायेदा बॉय फ्रेंड या गर्ल फ्रेंड हो । सब इसी सागर मे गोते लगा रहे है । घर मे भले अपने भाइयो से प्यार करे या न करे पर बाहर लरकीयो से सात जन्मों का वादा जरुर करते है । आपनी बहनो को राखी का तोहफा भले भूल जाए पर गर्ल फ्रेंड के लिए तोहफे जरुर याद रहते है । देश के लिए भले जान न दे पर महबूब के लिए सल्फाश की गोली खा कर जरुर जान देंगे बाद मे उसका महबूब दूसरे महबूब के साथ एश करता नज़र आता और माँ बाप अपने बेटे को खोने का गम जिंदगी भर मनाते रहते है । ये जुली पता नही क्या क्या गुल खीलायेगी । और फिर अब तो इनके गोड फादर यानी मटुकनाथ और जुली के किस्से सब जगह बरे चाव से सुनाये जा रहे है । कुछ दिन बाद मंदिरों मे जुली और मटुकनाथ की पूजा की जायेगी। पता नही ये जुली अब क्या क्या हमसे करायेगी ,कही ये जुली के चकर मे सारा जहा ही भूल न बैठे और सारे रिश्ते हम खोकर अपने आप को न भूल जाए और गाते रहे यह गाना "भूल गया सब कुछ याद नही अब कुछ पर एक बात न भूली "जुली आई लव यू "

"संजीत कुमार ,बेगुसराय "



Friday, June 06, 2008

वो छुट गया बेगुसराय

जो लोग अपने घर से बाहर रहते है उन्हें अपना बेगुसराय बहुत याद आता है वो बाहर रह कर अपने घर को नही भूल पाते उन्हें घर की याद सताती है उन्ही मे एक है अम्बाला के रहने वाले राजेश राज ने अपनी बात कविता के द्वारा कही है

याद आता है वो बेगुसराय
वो कावर झील का समां, मधुवन की चाट ,
वो शंकर कुल्फी की आइस क्रीम
वो थी उसमे थी कुछ बात
वो अनुपम की मिठाई , वो मद्रास होटल का डोसा
वो रामजी की लस्सी और रोहिणी का समोसा
वो बायेक का सफर , वो टाउनशिप वाले रोड की हवा
वो सुभास पार्क की रौनक और कर्पूरी स्थान मन्दिर का समां
वो जी .डी कॉलेज मैदान में क्रिकेट और हारने पे झगरा
वो मेन रोड की गलियाँ और गलियों में भटकना ,
सब छुट गए है दूर याद आता है बस वो बेगुसराय
जनवरी की कड़ाके की सर्दी , वो बारिशों के महीने ,
वो गर्मी के दिन , जब छूटते थे पसीने
वो दश हरे की धूम , वो छठ में श्रद्दा
वो होली की मस्ती , वो दोस्तों की टोली
वो दीवाली के पटाखे और जन्माष्टमी की रोली
वो क्रिसना मार्केट की गलियां , वो टाउनशिप की लड़कियां
वो सावित्री की बालकनी और वो चित्रवानी की टूटी कुर्सियाँ
वो महिला कॉलेज की लड़कियां और उन की जोरिया ,
वो बिना लाईसेन्स की बाएक ,रायडिंग
और टाउनशिप की गेट पे पुलिस का पकड़ना बस छुट गए है
दूर हमको याद आता है वो अपना बेगुसराय
राजेश राज अम्बाला

Thursday, January 31, 2008

बेगुसराय की पहली अभिनेत्री नीतू सिंह का एक परिचय



बेगुसराय की भूमि सचमुच प्रतिभा सम्पन्न है। जीवन की विभिन्न विधाओं में यहाँ की प्रतिभा ने अनेक अतुलनीय उदाहरण प्रस्तुत किये हैं। उन्ही में से एक प्रतिभा से हम आपको मुखातिब कराने आए हैं जिन्होंने छोटी सी उम्र में रूपहले परदे पर अपनी अभिनय क्षमता से न सिर्फ बेगुसराय बल्कि बिहार को भी गौरवान्वित किया है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं बेगुसराय की ही नही बल्कि बिहार की संभवतः पहली अभिनेत्री जिन्होंने मुम्बई की फिल्मी दुनिया में अपनी प्रतिभा का परचम लहराया। वह नायिका हैं ''नीतू सिंह'' जिनकी अनगिनत फिल्मों के बाद अंगिका भाषा पर बनी ''खगरिया वाली भौजी'' आंचलिक क्षेत्रों में धूम मचा रही है।
उत्तर भारत के उत्तरी बिहार के उत्तर पूर्व जिला बेगुसराय के पोखरिया मोहल्ले में जन्मी और बेगुसराय में शिक्षा प्राप्त करने के क्रम में ही नीतू सिंह का लगाव इप्टा संस्था से हो गया.विभिन्न छोटी-छोटी नाटकों में अपने भावपूर्ण अभिनय से लोगों का ह्रदय जीतने वाली नीतू सिंह ने हिमाचल प्रदेश स्थित ''नाट्य कला अकादमी'' से अभिनय का विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त कर अपनी आंखों में सपनों को संजोय मुम्बई की तरफ रूख किया। मुम्बई में संघर्षों के अनवरत दौर को झेलने के बाद किस्मत ने इनका साथ दिया और इन्हें अभिनेत्री के रुप में ''सखी'' फिल्म में काम कराने का मौका मिल। हालांकि इस फिल्म को अत्यधिक लोकप्रियता नही मिली लेकिन लोगों ने इनके अभिनय को सराहा और फिर इन्हें एक के बाद एक फिल्मों में काम कराने का मौका मिलता चला गया। इसी बीच मुख्य अभिनेत्री के रुप में इन्हें खगरिया वाली भौजी'' फिल्म में काम कराने का मौका मिला,जिसमें अपनी अभिनय क्षमता का भरपूर प्रदर्शन कर अपार ख्याति अर्जित की। न सिर्फ फिल्म बल्कि विभिन्न विज्ञापन फिल्मों और टीवी धारावाहिक में भी काम कराने का मौका मिला। वर्तमान में नीतू सिंह दूरदर्शन पर आने वाली धारावाहिक ''एअर होस्टेस'' में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

नीतू सिंह:संक्षिप्त परिचय
नाम: नीतू सिंह जन्म दिन:-९ मार्च
कद:-५'५''
जन्म-स्थान:-बेगुसराय
वर्तमान पता:-स्टेशन रोड,बेगुसराय
फिल्म-प्रवेश:-वर्ष २००५
पहली फिल्म:-सखी
पहली सफल फिल्म:-खगरिया वाली भौजी
पहली टीवी धारावाहिक:-आंखें
वर्त्तमान धारावाहिक:-एअर-होस्टेस
पहला एलबम:-वेबफाई (अल्ताफ राजा के साथ)
योग्यता:-स्नातक
भाषा प्रदर्शन:- भोजपुरी,अंगिका,मैथिली,छत्तीस गढ़
अब तक की फिल्में:-सखी,खगरिया वाली भौजी,सैयां सिपहिया,भाकला जो,दुलरुआ बाबु, झुलानिया ले द राजा जी
आने वाली फिल्में:-मन लागल सनम ससुरारी में,हर-हर गंगे
पसंदीदा पहनावा:-साड़ी
पसंदीदा भोजन:- चिकेन
पसंदीदा अभिनेता:-शाहरूख खान
पसंदीदा अभिनेत्री:-कजोल
पसंदीदा फिल्म:-ब्लैक

बेगुसराय के युवाओं के नाम एक हृदयस्पर्शी संदेश:-सबसे पहले शिक्षित बनें,आत्मविश्वास बढाने का प्रयास करें,अपनी शारीरिक हाव-भाव आकर्षक बनाए और माता-पिता के आशीर्वाद से अपने सपनों को साकार करें।
बेगुसराय के ब्लोग लेखक संजीत कुमार उर्फ़ अप्पू राज ने अभिनेत्री नीतू सिंह से जो बात-चीत की ,उसका संक्षिप्त अंश प्रस्तुत किया गया है .अपनी राय से हमे ज़रूर अवगत करावें। अगर आप नीतू सिंह को कोइ संदेश देना चाहते हैं तो इ मेल पर सम्पर्क करें।

email:-appu.verma94@gmail.com
manishji82@gmail.com

Monday, January 28, 2008

''स्वर-किरण'' अभियक्ति की नई ज़मीन है,जहाँ शब्दों के लहलहाते फसलों की हरीतिमा को आप तक पहुंचाने का एक छोटा प्रयास है आपका अपना ब्लोग्साईट "स्वर-किरण"

वैशाली और लिछवी के पौराणिक अतीत को समेटे हिन्दुस्तान की धरती गणतंत्र की ५९ वीं वर्षगांठ मना रही है,इस पावन पुण्य अवसर पर बेगुसराय के तमाम पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं।
संजीत कुमार उर्फ़ ''अप्पू राज़''