Wednesday, July 23, 2008

अपनी दुआओं का कब असर होता है .



जमाने मे कहा , टूटे दिलो का बसर होता है

उनके लिए तो अपना घर भी, बेघर होता है ।

है कौन जहाँ मे जो पूछे टूटे दिलो का हाल ,

वक्त पर इनका खुदा भी, इनसे बे नज़र होता है।

इस दिल के जलने , की कैसे होती खबर सबको ,

आख़िर एक चिराग से, कब उजाला शहर होता है ।

करे भी तो कैसे, इनके ज़ख्मो का हम इलाज ,

हर दवा इनके लिए तो , ज़हर होता है

पत्त्थरों को कहाँ ,होती है दिलो के परख ,

वो तोरते ही है उसको ,जो शीशे का घर होता है ।

दुआ ये है की, टूटे दिलो को मिले जीने का सबब,

दखेंये अपनी दुआऊ का, कब असर होता है ।

"संजीत कुमार "

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