Thursday, July 24, 2008

हंसी के फूल थोरे , दर्द यहाँ बेशुमार है- संजीत



जिंदगी का हर गुल , अपने लिए बेजार है ,

आंसू ही अपना हमसफ़र , दर्द ही अपना यार है ।

ढूंढ़ते थक गए हम उसे जिसके लिए बेकरार है ,

कोई तो इतना बता दे कहा बिकता प्यार है ।

चलना हमने भी सिख लिया , जीवन के हर राहो पर

अब हर वीरान मौसम भी , अपने लिए बहार है ।

क्या हसना क्या रोना , सब अपने लिए समान है ,

फूलो मे हमने है देखा , छिपा हुआ खार है ।

खुदा ने भी अनजाने मे , कैसे ये दुनिया बनाई

हंसी के फूल है थोरे , दर्द यहाँ बेशुमार है ।
"संजीत कुमार "

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